रविवार, 31 जनवरी 2021

BHAGAVAD GITA

🙏🙏 यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः। 

धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत।।४५।।🙏🙏 

यदि :-यदि; माम :-मुझको; अप्रतिकारम :-प्रतिरोध न करने के कारण; अशस्त्रं:-बिना हथियार के; शस्त्रपाणय:-शस्त्रधारी;धार्तराष्ट्राः -धृतराष्ट्र के पुत्र; रणे:-युद्धभूमि में; हन्युः -मारे; तत :-वह; में :-मेरे लिए; क्षेम -तरम:-श्रेयस्कर; भवेत :-होगा। 

यदि शस्त्रधारी धृतराष्ट्र पुत्र मुझ निहत्थे तथा रणभूमि में प्रतिरोध न करने वालों को मारें,तो यह मेरे लिए श्रेयस्कर होगा। 

तात्पर्य :-क्षत्रियों के युद्ध -नियमों के अनुसार ऐसी प्रथा है कि निहत्थे तथा विमुख शत्रु पर आक्रमण न किया जाय। किन्तु अर्जुन ने निश्चय किया कि शत्रु भले ही इस विषम अवस्था में उस पर आक्रमण कर दे ,किन्तु वह युद्ध नहीं करेगा।  उसने इस पर विचार नहीं किया कि दूसरा दल युद्ध के लिए कितना उद्दत है। इन सब लक्षणों कारण उसकी दयार्द्रता है जो भगवान् के महान भक्त होने  कारण उत्पन्न हुई 

क्रमशः !!!

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