BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक ७&८
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थ तांब्रवीमि ते।।७।।
अस्माकं:-हमारे; तु:-लेकिन; विशिष्टा:-विशेष शक्तिशाली; ये:-जो;
तान:-उनको; निबोध:-जरा जान लीजिये; द्विजोत्तम:-हे ब्राह्मणश्रेष्ठ;
नायकाः-सेनापति; मम:-मेरी; सैन्यस्य:-सेना के; संज्ञार्थ:-सूचना के लिए
तान:-उन्हें; ब्रवीमि:-बता रहा हूँ; ते:-आपको।
अर्थात :-किन्तु हे ब्राह्मणश्रेठ !आपकी सूचना लिए मैं अपनी सेना के उन नायकों के विषय में बताना चाहूंगा,जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण हैं।
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिंजयः।
अश्वत्त्थामा विकर्णश्च सोमदत्तिस्तथैव च।।८।।
भवान:-आप; भीष्मः-भीष्मपितामह;च:-भी; कर्ण:-कर्ण; च:-और;
कृप:-कृपाचार्य; समितिञ्जयः -सदा संग्रामविजयी; अश्वत्त्थामा:-अश्वत्त्थामा; विकर्ण: -विकर्ण; च:-तथा; सोमदतीः-सोमदत्त का पुत्र;
तथा:-भी; एव:-निश्चय ही; च:- भी।
अर्थात :- मेरी सेना में स्वयं आप भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा आदि हैं,जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं।
दुर्योधन उन अद्वित्तीय युद्धवीरों का उल्लेख करता है जो सदैव विजयी होते रहे है। विकर्ण दुर्योधन का भाई है, अश्वत्थामा द्रोणाचार्य का पुत्र है। कर्ण अर्जुन का आधा भाई है,क्योंकि वह कुंती के गर्भ से राजा पाण्डु से विवाहित होने से पूर्व उत्पन्न हुआ है। कृपाचार्य की जुड़वां बहन के साथ द्रोणाचार्य जी ने शादी की थी।
क्रमशः !!!!!!!!
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