शनिवार, 16 जनवरी 2016

विद्या अथवा ज्ञान (गुरु वाणी)

विद्या ऐसी चीज है ज्यों-ज्यों खर्चे,त्यों-त्यों बढ़े।
और बिन खर्चे घटे जाय।।

विद्या या ज्ञान एक ऐसी चीज है,जिसको जितना ज्यादा खर्च करेंगें उतनी ही ज्यादा बढ़ती जायगी,जिसके पास जितना ज्ञान है अगर उसे बितरित न किया जाय तो वह सिकुड़ कर कम होता जाएगा,अतः ज्ञान को बांटें और अपना ज्ञान कोष बढ़ाएं।     । । हरि ॐ जय गुरुदेव । । 

गुरुवार, 7 जनवरी 2016

चुनाव करना ।। हरी ॐ।।

किसी चीज को चुनना वास्तव में एक सरल काम नहीं है,आम तौर पर अगर कोई आप से कहता है कि आप के सामने ढेर सारी चीजो में से कोई एक चीज को चुनना है, तो सीधी सी बात है जो आपकी पसंद की होगी वही  आपके पास होगी लेकिन,अब उस वस्तु  से होने वाले लाभ या हानि के हकदार तो बस आप ही हैं।
श्री नारायण हरी ने महाभारत के धर्मयुद्ध में दुर्योधन से कहा था कि हे सुयोधन कृपया आप स्वयं ही चयन करें कि मैं या मेरी सेना में से आपको क्या चाहिए,एक चीज का चयन करना होगा, तो दुर्योधन ने सोचा कि अकेले श्री विष्णु का  मैँ क्या करूँगा और तुरंत कहा कि आप मुझे अपनी सेना दीजिये। 


(फोटो गूगल से साभार)

बस क्या था श्री हरि विष्णु तो यही चाहते थे और तथास्तु कह कर युद्ध की तैयारियां शुरू कर दी और अर्जुन के तो भगवान सारथी ही बन गए,धर्मयुद्ध ही तो था कि पांच भाइयों  ने सौ भाइयों को  मृत्यु का रास्ता दिखा दिया।   ।। हरी ॐ।।