रविवार, 14 जनवरी 2018

शांति

एक बार की बात है कबीर दास जी एक नई जगह पहुँच गए ,रहने का साधन था नहीं तो एक झोंपड़ी बनाई और उसमे रहने लगे।
उनकी झोंपड़ी के पास में एक कसाई की दुकान थी तो जब कबीर दास जी प्रातः चार बजे उठकर स्नान कर पूजापाठ करना शुरु करते तो कसाई की दुकान से जानवरो के काटने की चीख पुकार सुनाई देती अब लगभग ये रोज का काम हो गया तो उनको बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था,तो एक सज्जन ने उनको सलाह दी कि झोंपड़ी बदल दो तो कबीर दास जी ने उस पर भी एक श्लोक बना दिया और शांत चित होकर रहने लगे।

कबीरा तेरी झोंपड़ी गलकट्टो के पास।
जो करेगा सो भरेगा तुम क्यूँ भए उदास।।