गुरुवार, 7 जनवरी 2021

BHAGVAD GITA

 ततः शंखश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः। 

सहसेवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोभवत।।१३।।  

ततः-तत्पश्चात; शंखा:-शंख; च:- भी; भेर्य:-बड़े-बड़े ढोल,नगाड़े; च:

तथा;पणव-आनक:-ढोल तथा मृदंग; गो-मुखा:-शृंग; सहसा-अचानक;एव-निश्चय ही; अभ्यहन्यन्त:-एक साथ बजाए गए; सः-वह; शब्दः-समवेत,स्वर; तुमुल:-कोलाहलपूर्ण; अभवत -हो गया।

अर्थात :-तत्पश्चात शंख, नगाड़े,बिगुल,तुरही तथा रण सींग सहसा एक साथ बज उठे। तब अत्यंत कोलाहल के साथ सभी योद्धाओं ने अपने-अपने शंख बजाये। 


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