शनिवार, 21 मई 2016

बुद्धि एवम विवेक

पांडवो के वनवास के समय की बात है,दूर जंगल में चलते-चलते  जब पांचो भाई थक गए तो धर्मराज जी ने सहदेव को पानी के लिए एक कुंवे के पास भेजा पर वो वापस लौट के नहीं आया तो उन्होंने तुरंत नकुल को भेजा वो लौट के नहीं आया इस प्रकार से भीम,अर्जुन सभी गए और वापस नहीं आये तो बड़े भाई धर्मराज चिंतित हो कर खुद गए।
उन्होंने देखा कि उनके सभी भाई बेहोश है और रोते हुए वे पानी पीने को बढे ही थे कि यक्ष राज ने उनको रोक और बोले हे युधिष्ठिर पहले मेरे सवालो का जबाव दो फिर पानी पी सकते हो,तुम्हारे भाईयों ने मेरे प्रश्नों का जबाब नहीं दिया तो मैंने ही उनकी ये गति की है ।
धर्मराज जी ने एक-एक करके सभी प्रश्नों का जबाब दिया तो यक्ष राज ने खुश होकर कहा कहो धर्मराज मैं बहुत खुश हूँ चाहो तो मैं तुम्हारा एक भाई जीवित कर देता हूँ बताओ किसको जिन्दा चाहते हो,तो धर्मराज जी ने सोच कर कहा हे यक्ष राज आप नकुल को जिन्दा कर दें ।
इस बात पर यक्ष ने कहा आपने महाबली भीम और धर्नुधर अर्जुन को क्यों नहीं माँगा तो धर्मराज जी ने कहा नहीं महाराज मेरी दो माताएं हैं कुंती और माद्री, मैं कुंती का पुत्र जीवित हूँ और नकुल माता  माद्री का पुत्र है
इस विवेकपूर्ण जबाब को सुनकर यक्ष राज बहुत खुश हुए और उन्होंने उनके सभी भाईयों को जीवित कर दिया।