मंगलवार, 9 मार्च 2021

BHAGAVAD GITA 2:36

अवाच्च्यवादांश्च बहून्वदिष्यन्ति तवाहिताः। 

निन्दन्तस्तव सामर्थ्य ततो दुःखतरं नु किम।।३६।।

अवाच्च्य :-कटु; वादान-मिथ्या शब्द; च-भी; बहून-अनेक; वदिष्यन्ति -कहेंगे; तव -तुम्हारी; सामर्थ्यं- सामर्थ्य को;ततः-उसकी अपेक्षा; दुःख-तरम -अधिक दुखदायी; नु -निस्संदेह; किम -और क्या है। 

तुम्हारे शत्रु अनेक प्रकार के कटु शब्दों से तुम्हारा वर्णन करेंगे और तुम्हारी सामर्थ्य का उपहास करेंगे। तुम्हारे लिए इससे दुखदायी और क्या हो सकता है। 

तात्पर्य:- प्रारम्भ में ही भगवान् कृष्ण को अर्जुन के अयाचित दयाभाव पर आश्चर्य हुआ था और उन्होंने इस दयाभाव को अनार्योचित बताया था। अब उन्होंने विस्तार से अर्जुन के तथाकथित दयाभाव के बिरुद्ध कहे गए अपने वचनों को सिद्ध कर दिया है। 

क्रमशः !!!   

   

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