सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

BHAGAVAD GITA 2:14

 मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुः खदाः। 

आगमापायिनो नित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।१४।।

मात्रा -स्पर्शाः -इन्द्रियविषय; तु -केवल; कौन्तेय -हे कुन्तीपुत्र; शीत -जाड़ा; उष्ण -ग्रीष्म; सुख -सुख; दुःख -दुःख; दाः -देने वाले; आगम -आना; अपायिनः -जाना; अनित्याः -क्षणिक; तान- उनको; तितिक्षस्व -सहन करने का प्रयत्न करो; भारत-हे भरतवंशी। इन्द्रयबोध से 

हे कुन्तीपुत्र !सुख तथा दुःख का क्षणिक उदय तथा कालक्रम में उनका अंतर्ध्यान होना सर्दी तथा गर्मी की श्रतुओं के आने जाने के समान है। हे भरतवंशी  !वे इन्द्रियबोध से उत्पन्न होते हैं और मनुष्य को चाहिए कि अविचल भाव से उनको सहन करना सीखे। 

तात्पर्य :- कर्तव्य निर्वाह करते हुए मनुष्य को सुख या दुःख के क्षणिक आने-जाने को सहन करने का अभ्यास करना चाहिए। वैदिक आदेशासनुसार मनुष्य को माघ के मास में प्रातःकाल स्नान करना चाहिए। उस समय अत्यधिक ठण्ड  पड़ती है,किन्तु जो धार्मिक नियमो का पालन करने वाला है,वह स्नान करने में तनिक भी नहीं झिझकता। इसी प्रकार एक गृहणी भीषण से भीषण गर्मी की श्रतु में भोजन पकाने में हिचकती नहीं। जलवायु सम्बन्धी असुविधायें होते हुए भी मनुष्य को अपना कर्तव्य निभाना होता है। इसी प्रकार युद्ध करना क्षत्रिय का धर्म है, अतः उसे अपने किसी भी मित्र या परिजन से युद्ध करना पड़े तो उसे अपने धर्म से विचलित नहीं होना चाहिए। मनुष्य को ज्ञान प्राप्त करने के लिए धर्म के विधि -विधान पालन करने होते हैं क्योंकि ज्ञान तथा भक्ति से ही मनुष्य अपने आप को माया के बंधन से छुड़ा सकता है। 

अर्जुन को जिन दो नामों से सम्बोधित किया गया है,वे भी महत्वपूर्ण है। कौन्तेय कहकर सम्बोधित करने से यह प्रकट होता है कि वह अपनी माता की ओर (मातृकुल)   से सम्बंधित है और भारत कहने से उसके पिता की ओर (पितृकुल )  से सम्बन्ध प्रकट होता है। दोनों ओर से उसको महान विरासत प्राप्त है। महान विरासत प्राप्त होने के फलस्वरूप कर्त्तव्यनिर्वाह का उत्तरदायित्व आ पड़ता है,अतः अर्जुन युद्ध से विमुख नहीं हो सकता।

क्रमशः  !!!

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       

    

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