Bhagavad Gita is the life management book and self motivational book. many peoples change there life by reading this book, this is not a religious book anybody, any religion can read for better future. many peoples got success his business from this energetic book, I'm writing a shloka a day so if anybody don't have enough time to read so you can read a shloka a day, Thanks.
BHAGAVAD GITA IN HINDI
सोमवार, 4 जनवरी 2021
BHAGVAD GITA
हमारी शक्ति अपरिमेय है और हम सब पितामह द्वारा भलीभांति संरक्षित है, जबकि पांडवों की शक्ति भीम द्वारा भलीभांति संरक्षित होकर भी सीमित है।
I'm a husband, fathers of two kids, would like to help people anywhere and believe to spiritualty.
रविवार, 3 जनवरी 2021
BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक ९
अन्ये च बहवः श्रुरा मदर्थे त्यक्तजीविताः।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः।।९।।
अन्ये:-अन्य सब; च:-भी;बहवः-अनेक; श्रुरा:-बीर; मदर्थे:-मेरे लिए;त्यक्तजीविताः-जीवन का उत्सर्ग करने वाले; नाना:-अनेक; शस्त्र:-आयुध;परहरणाः-से युक्त,सुसज्जित; सर्वे-सभी; युद्ध-विशारदाः-युद्ध विद्या में निपुण।
दुर्योधन कहते हैं,ऐसे अनेक अन्य वीर भी है,जो मेरे लिए अपना जीवन त्याग करने के लिए उद्यत हैं। वे विविध प्रकार के हथियारों से सुसज्जित हैं और युद्धविद्या में निपुण हैं।
अर्थात:- अन्य वीर जैसे जयद्रथ,कृतवर्मा,तथा शल्य का सम्बन्ध है ,वे दुर्योधन के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहते थे। अर्थात यह पूर्वनिश्चित है कि वे अब पापी दुर्योधन के दल में सम्मिलित होने के कारण कुरुक्षेत्र के युद्ध में मारे जायेंगे। निस्संदेह अपने मित्रों की संयुक्त-शक्ति के कारण दुर्योधन अपनी विजय के प्रति आश्वस्त था।
क्रमशः !!!!!
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शनिवार, 2 जनवरी 2021
BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक ७&८
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थ तांब्रवीमि ते।।७।।
अस्माकं:-हमारे; तु:-लेकिन; विशिष्टा:-विशेष शक्तिशाली; ये:-जो;
तान:-उनको; निबोध:-जरा जान लीजिये; द्विजोत्तम:-हे ब्राह्मणश्रेष्ठ;
नायकाः-सेनापति; मम:-मेरी; सैन्यस्य:-सेना के; संज्ञार्थ:-सूचना के लिए
तान:-उन्हें; ब्रवीमि:-बता रहा हूँ; ते:-आपको।
अर्थात :-किन्तु हे ब्राह्मणश्रेठ !आपकी सूचना लिए मैं अपनी सेना के उन नायकों के विषय में बताना चाहूंगा,जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण हैं।
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिंजयः।
अश्वत्त्थामा विकर्णश्च सोमदत्तिस्तथैव च।।८।।
भवान:-आप; भीष्मः-भीष्मपितामह;च:-भी; कर्ण:-कर्ण; च:-और;
कृप:-कृपाचार्य; समितिञ्जयः -सदा संग्रामविजयी; अश्वत्त्थामा:-अश्वत्त्थामा; विकर्ण: -विकर्ण; च:-तथा; सोमदतीः-सोमदत्त का पुत्र;
तथा:-भी; एव:-निश्चय ही; च:- भी।
अर्थात :- मेरी सेना में स्वयं आप भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा आदि हैं,जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं।
दुर्योधन उन अद्वित्तीय युद्धवीरों का उल्लेख करता है जो सदैव विजयी होते रहे है। विकर्ण दुर्योधन का भाई है, अश्वत्थामा द्रोणाचार्य का पुत्र है। कर्ण अर्जुन का आधा भाई है,क्योंकि वह कुंती के गर्भ से राजा पाण्डु से विवाहित होने से पूर्व उत्पन्न हुआ है। कृपाचार्य की जुड़वां बहन के साथ द्रोणाचार्य जी ने शादी की थी।
क्रमशः !!!!!!!!
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शुक्रवार, 1 जनवरी 2021
BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक ६
युधामनुश्च विक्रांत उत्तमौजाश्च वीर्यवान।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः।।६।।
युधामन्युः -युधामन्यु; च:-तथा; विक्रांत:-पराक्रमी; उत्तमौजा:-उत्तमौजा;
च:-तथा;वीर्यवान:-अत्यंत शक्तिशाली; सौभद्र:-सुभद्रा का पुत्र;
द्रोपदेयाः-द्रोपदी के पुत्र; च:-तथा; सर्वे:-सभी; एव-निस्चय ही;
महारथाः -महारथी।
अर्थात:-इस प्रकार से दुर्योधन,द्रोणाचार्य जी से कह रहे थे कि पांडवो की सेना में पराक्रमी युधामन्यु, अत्यंत शक्तिशाली उत्तमौजा,सुभद्रा का पुत्र तथा द्रोपदी के पुत्र -ये सभी महारथी हैं।
क्रमशः- !!!!!
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गुरुवार, 31 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक ५
धृष्ट्केतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः।।५।।
धृष्टकेतुः -धृष्टकेतु; चेकितानः -चेकितान; काशिराजः -काशिराज;
च:-भी; वीर्यवान:-अत्यंत शक्तिशाली; पुरुजित:-पुरुजित; कुन्तिभोजः - कुन्तिभोज; च:-तथा; शैब्य:-शैब्य; च :-तथा;नरपुंगवः- मानव समाज में वीर।
अर्थात :- इनके साथ ही धृष्टकेतु, चेकितान, काशिराज, पुरुजित, कुन्तिभोज,तथा शैब्य जैसे महान शक्तिशाली योद्धा भी हैं।
क्रमशः !!!!!!!!
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बुधवार, 30 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक ४
अत्र श्रुराः महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च
महारथः।।४।।
अत्र :-यहाँ;श्रुराः :-वीर;महेष्वासा:-महान धनुर्धर;भीमार्जुन:-भीम तथा अर्जुन;समाः :-के समान युधि :-युद्ध में;युयुधानः :-युयुधान ;विराटः -विराट;च :-भी;द्रुपद :- द्रुपद ; च :-भी;महारथः :-महान योद्धा।
इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं -महारथी युयुधान,विराट तथा द्रुपद।
अर्थात :-जबकि युद्धकला में द्रोणाचार्य की महान शक्ति के समक्ष धृष्टधुम्न महत्पूर्ण वाधक नहीं था,किन्तु ऐसे अनेक योद्धा थे जिनसे उसको भय था दुर्योधन इन्हें विजयपथ में बाधक बताता है क्योंकि इनमे से प्रत्येक योद्धा भीम तथा अर्जुन के समान दुर्जेय था। उसे भीम तथा अर्जुन के बल का ज्ञान था, इसीलिए वह अन्यों की तुलना इन दोनों से करता है।
क्रमशः !!!!!!!!!!
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मंगलवार, 29 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक ३
पश्यैतां पाण्डुपुत्रानामाचार्य महतीं चमूम।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।३।।
पश्य :-देखिए;एताम :-इस;पाण्डु पुत्राणाम :-पाण्डु के पुत्रों की;आचार्य ;-हे आचार्य;महतीम:-विशाल;चमूम:-सेना को;व्यूढां:-व्यवस्थित;द्रुपदपुत्रेण :-द्रुपद के पुत्र द्वारा;तव :-तुम्हारे; शिष्येण:-शिष्य द्वारा;धीमता :-अत्यंत बुद्धिमान।
हे आचार्य !पाण्डुपुत्रों की विशाल सेना को देखें,जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपद के पुत्र ने इतने कौशल से व्यवस्थित किया है।
अर्थात:-परम राजनीतिज्ञ दुर्योधन सेनापति द्रोणाचार्य के दोषों को इंगित करना चाहता था। राजा द्रुपद व् द्रोणाचार्य जी का आपस में पुराना राजनितिक झगड़ा था इसलिए द्रुपद ने एक महान यज्ञ संपन्न किया जिससे उन्हें एक पुत्र प्राप्त होने का वरदान मिला,जो द्रोणाचार्य का वध कर सके। द्रोणाचार्य इस बात को भलीभांति जानते थे किन्तु जब द्रुपद का पुत्र धृष्टधुम्न युद्ध शिक्षा के लिए उनको सौंपा गया तो द्रोणाचार्य जी को उसे अपने सारे सैनिक रहस्य प्रदान करने में कोई झिझक नहीं हुई।
इस प्रकार से युद्धभूमि में वह पांडवों के साथ था और द्रोणाचार्य से जो कला सीखी थी उसी के आधार पर उसने व्यूह रचना की,दुर्योधन ने इस कमजोरी की ओर द्रोणाचार्य जी को इंगित किया कि कहीं वह अपने प्रिय शिष्य पांडवो के प्रति उदारता न दिखाएँ। विशेष रूप से अर्जुन उनका अत्यंत प्रिय एवं तेजस्वी शिष्य था। दुर्योधन कहना चाहता था कि इससे उनकी हार हो सकती है।
क्रमशः !!!!!!!
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