
Bhagavad Gita is the life management book and self motivational book. many peoples change there life by reading this book, this is not a religious book anybody, any religion can read for better future. many peoples got success his business from this energetic book, I'm writing a shloka a day so if anybody don't have enough time to read so you can read a shloka a day, Thanks.
BHAGAVAD GITA IN HINDI
मंगलवार, 27 दिसंबर 2016
winters-chillstep II dubstep

रविवार, 25 दिसंबर 2016
अन्धविश्वास
एक गांव में दुखी राम रहता था,सब लोग कहते थे कि जिस दिन सुबह-सुबह दुखी राम का मुँह देख लिया तो उस आदमी को दिन भर खाना नसीब नहीं होता है ,बड़ा ही मनहूस आदमी है ।
अब यह बात राजा के कानो तक भी पहुँच गयी राजा ने सन्देश दिया कि दुखीराम को तुरंत यहाँ बुलाया जाय !
राजा के सिपाही तुरंत दुखीराम को पकड़ कर ले आये,राजा ने कहा इसको रात्रि में मेरे साथ ही खाना होगा और मेरी बगल में ही इसका बिस्तर लगा दिया जाय,रात बीत गयी राजा जी ने हाथ मुँह धोकर सीधा दुखीराम के दर्शन किये और दिन की सुरुआत दिनचर्या के अनुसार करने लगे,अब राजा जी किसी काम में इतने उलझ गए कि नास्ता तो रहा दूर भोजन भी नहीं हो पाया और शाम का भोजन भी किसी तरह से रात्रि में ही हो पाया और अंत में राजा ने गुस्से में आकर दुखी राम को फांशी की सजा सुना दी ।
उस गाँव में एक भले आदमी रहते थे,उन्होंने कहा दुखी राम जैसे मैंने तुम्हे समझाया है वेसे ही कह देना डरना मत ।
(गूगल से साभार)
सुबह होते ही जल्लाद दुखीराम को फांशी की सजा का सामान ले कर आ गया और पूछा अपनी अंतिम इच्छा बताओ ।
दुखी राम बोला राजा जी को बोलना कि मुझसे ज्यादा मनहूस तो तुम हो तुम्हारा मुँह देखकर मुझे फांशी की सजा मिली,मेरा मुह देखकर तो सिर्फ खाना ही तो नही मिला । राजा ने सोचा बात तो सही है सिर्फ अन्धविश्वास ही तो है किसी का मुह देखकर काम बिगड़ता नहीं है ।

शुक्रवार, 18 नवंबर 2016
garhwali comedy gattu by sandeep topwal

रविवार, 13 नवंबर 2016
ऐहसान
कट्टपा ने बाहुबली को क्यों मारा,क्यों कि बाहुबली ने उस पर एक ऐहसान किया था और वो उसे रोज ब्लैकमेल करता था। बेचारा इतना परेसान था कि कुछ कह भी नहीं सकता था,और कर भी नही सकता था इसी लिए कट्टपा को ऐसा निर्णय लेना पड़ा होगा,आप भी अपनी राय बता सकते हैं धन्यवाद।

(फोटो गूगल से साभार)

बुधवार, 26 अक्टूबर 2016
मानसिकता
कुछ भी कहो लेकिन लोगों की मानसिकता आज भी यही है की लड़का तो होना ही चाहिए।
पर जो भी हो हर किसी का एक प्रारब्ध होता है उसमे लड़की हो चाहे लड़का हर कोई दुनिया में अपने ही काम के लिए निर्धारित हो कर आया है,उस काम को सिर्फ और सिर्फ वही करेगा लड़की हो या लड़का, दंगल फिल्म के लिए आमिर खान जी को बधाई हो कृपया जरूर देखें।
(साभार यूट्यूब)

रविवार, 23 अक्टूबर 2016
गढ़वाली जौनसारी संगीत
उत्तराखंड में गढ़वाली,कुमावनी,जौनसारी अदि भाषाएँ बोली जाती है, जिसमे जौनसारी भाषा का संगीत अलग ही तरह का सुरीला तथा मनभावन संगीत है जिसकी एक झलक इस गीत के माध्यम से सुनने को मिलती है आप भी आनंद उठाएं।
(साभार स्वागत फिल्म्स &यू ट्यूब्स)

शनिवार, 1 अक्टूबर 2016
Na Jibhar Ke Dekha Na kuch Baat Ki Bhajan By Shri Vinod Ji Agarwal - B K...

बुधवार, 28 सितंबर 2016
भोले नाथ का नया घर
भोलेनाथ बड़े ही दयालू देवता है बड़े औघड़ दानी है।
माता पार्वती जी ने भोलेनाथ जी से कहा कि हे महादेव मैं आप से कुछ विनती करना चाहती हूं क्या आप मानेंगे तो महादेव जी ने बड़े ही भाव से कहा देवी आप कहिए तो सही मैं आप की बात टाल नहीं सकता।
तो माँ पार्वती तुरंत बोली हे भोलेनाथ कब तक हम कैलाश पर्वत पर ऐसे ही बिना घर के रहेंगे,अब मै चाहती हूँ कि हमारा भी अपना घर होना चाहिए।
अब भोलेनाथ जी ने तुरंत अदभुत द्वीप ढूंडा और विष्वकर्मा जी को आदेश दिया कि हमारे लिए और हमारे परिवार के लिए सोने की नगरी का निर्माण किया जाय।
तो विश्वकर्मा जी ने तुरन्त ही सोने की नगरी का निर्माण कर दिया और भगवान भोलेनाथ को बोले कि आप किसी ज्ञानी पंडित को बुलाएँ और गृह प्रवेश करवाए।
महादेव जी ने सोचा कि रावण के बराबर जानकार तो कोई भी पंडित नहीं है और शीघ्र ही रावण को आमन्त्रित किया गया।

फोटो गूगल से साभार
अब रावण जी महाराज विधिवत पूजा संपादन में जुट गए।
पूजा -पाठ समाप्त होने पर महादेव बोले कहो पंडित कुछ दक्षिना माँगो आज हम बहुत खुश हैं जो मांगोगे दे देंगे।
रावण ने कहा हे महादेव अगर आप सचमुच मुझे कुछ देना चाहते हैं तो मुझे अपना नया सोने का नगर दान में दे दो आप तो महादानी हो।
भोलेनाथ ने तुरंत खुश हो कर कहा तथास्तु और माता पार्वती से बोले चलो देवी हमारे लिए कैलाश पर्वत ही अच्छा है

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016
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मंगलवार, 16 अगस्त 2016
प्रशंसा और आलोचना
प्रशंसा पुण्य शिथिल करती है, आलोचना विकास के द्वार खोलती है.अपनी प्रशंसा सुनने पर कोई भी खुश हो जाता है,और सोचता है की मैं उत्तम मनुष्य हूं तो समझो आपके पुण्य खत्म हो रहे है इसके विपरीत अगर कोई आपकी आलोचना करता है तो समझो आपके विकास की संभावनाएं बढ़ रही है,आप स्वयं को बढ़िया बनाने की कोशिश में लग जाते हो ।
जय गुरुदेव

शनिवार, 21 मई 2016
बुद्धि एवम विवेक
पांडवो के वनवास के समय की बात है,दूर जंगल में चलते-चलते जब पांचो भाई थक गए तो धर्मराज जी ने सहदेव को पानी के लिए एक कुंवे के पास भेजा पर वो वापस लौट के नहीं आया तो उन्होंने तुरंत नकुल को भेजा वो लौट के नहीं आया इस प्रकार से भीम,अर्जुन सभी गए और वापस नहीं आये तो बड़े भाई धर्मराज चिंतित हो कर खुद गए।
उन्होंने देखा कि उनके सभी भाई बेहोश है और रोते हुए वे पानी पीने को बढे ही थे कि यक्ष राज ने उनको रोक और बोले हे युधिष्ठिर पहले मेरे सवालो का जबाव दो फिर पानी पी सकते हो,तुम्हारे भाईयों ने मेरे प्रश्नों का जबाब नहीं दिया तो मैंने ही उनकी ये गति की है ।
धर्मराज जी ने एक-एक करके सभी प्रश्नों का जबाब दिया तो यक्ष राज ने खुश होकर कहा कहो धर्मराज मैं बहुत खुश हूँ चाहो तो मैं तुम्हारा एक भाई जीवित कर देता हूँ बताओ किसको जिन्दा चाहते हो,तो धर्मराज जी ने सोच कर कहा हे यक्ष राज आप नकुल को जिन्दा कर दें ।
इस बात पर यक्ष ने कहा आपने महाबली भीम और धर्नुधर अर्जुन को क्यों नहीं माँगा तो धर्मराज जी ने कहा नहीं महाराज मेरी दो माताएं हैं कुंती और माद्री, मैं कुंती का पुत्र जीवित हूँ और नकुल माता माद्री का पुत्र है
इस विवेकपूर्ण जबाब को सुनकर यक्ष राज बहुत खुश हुए और उन्होंने उनके सभी भाईयों को जीवित कर दिया।

उन्होंने देखा कि उनके सभी भाई बेहोश है और रोते हुए वे पानी पीने को बढे ही थे कि यक्ष राज ने उनको रोक और बोले हे युधिष्ठिर पहले मेरे सवालो का जबाव दो फिर पानी पी सकते हो,तुम्हारे भाईयों ने मेरे प्रश्नों का जबाब नहीं दिया तो मैंने ही उनकी ये गति की है ।
धर्मराज जी ने एक-एक करके सभी प्रश्नों का जबाब दिया तो यक्ष राज ने खुश होकर कहा कहो धर्मराज मैं बहुत खुश हूँ चाहो तो मैं तुम्हारा एक भाई जीवित कर देता हूँ बताओ किसको जिन्दा चाहते हो,तो धर्मराज जी ने सोच कर कहा हे यक्ष राज आप नकुल को जिन्दा कर दें ।
इस बात पर यक्ष ने कहा आपने महाबली भीम और धर्नुधर अर्जुन को क्यों नहीं माँगा तो धर्मराज जी ने कहा नहीं महाराज मेरी दो माताएं हैं कुंती और माद्री, मैं कुंती का पुत्र जीवित हूँ और नकुल माता माद्री का पुत्र है
इस विवेकपूर्ण जबाब को सुनकर यक्ष राज बहुत खुश हुए और उन्होंने उनके सभी भाईयों को जीवित कर दिया।

शुक्रवार, 6 मई 2016
ma beti ka topic hemlata shastri ji

रविवार, 27 मार्च 2016
दिखावे का फैशन
एक गाँव में एक बूढी माता जी रहती थी बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा करती थी, अचानक उनके मन में आया कि वो भी लोगो की तरह सोने का कड़ा बनवाकर हाथ में पहनेंगी,किसी तरह से सोने का कड़ा बनवा लिया और हाथ में पहन कर घूमने लगी।
परन्तु पुरे गाँव में किसी ने भी यह नहीं पूछा कि माता जी आपका कड़ा कितना सुन्दर है और मँहगा है तो माता जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत अपनी झोंपड़ी में आग लगा दी, आग और धुंआ देखकर सारे गाँववाले इकट्ठे हो गए और आग बुझाने लगे आग शांत होने के बाद अचानक एक महिला उनके पास आयीं और बोली अरे वाह माताजी आपके हाथ में कितना सुन्दर सोने का कड़ा है और कितना चमकता है।
माताजी ने जबाव में कहा पहले कह देती तो झोंपड़ी में आग ना लगाती।
जय हो बापू
हरिओम
माताजी ने जबाव में कहा पहले कह देती तो झोंपड़ी में आग ना लगाती।
जय हो बापू
हरिओम

रविवार, 6 मार्च 2016
वात्सल्य वाणी
परम पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी के मुख से वात्सल्य वाणी सुनने का बार -बार मन करता है।
आप भी सुने।
(साभार एडमिन वात्सल्य वाणी पेज)

रविवार, 28 फ़रवरी 2016
आजादी का अर्थ
आज अपने देश में आजादी के नारे सुनने पर बस कुछ लिखने का मन कर रहा है।
पढ़े लिखे लोग आजादी का भाषण दे रहे हैं,मैंने बचपन में पढ़ा था कि "आपकी आजादी वहां खत्म होती है जहाँ दूसरे की नाक शुरू होती है "
फिर से कहानी दोहराता हूँ शायद बड़े बच्चे इस कहानी को भूल गए होंगे।
एक बार एक आदमी अपने हाथ में अपने चारों ओर लाठी घुमा कर जोर से चिल्ला रहा था कि मैं आजाद हूँ,मैं आजाद हूँ अचानक एक सज्जन वहाँ पर आये और उन्होंने कहा बेटा आप आजाद हैं ये बिलकुल ठीक है पर आपकी आजादी वहां ख़त्म होती है जहाँ से मेरी नाक शुरू होती है।
बिल्कुल सही है आप आजाद है पर जहाँ तक दूसरों को तकलीफ नहीं होनी चाहिए। जो आजादी हमें गुलामी से मिली है वो तो देश के कुछ महापुरुषों की कुर्बानी से मिली है,इसे संभाल कर रखने का प्रत्येक नागरिक का कर्तब्य है,अपने हक़ के लिए भी लड़ना जरुरी है पर आपस में लड़कर नहीं,अंग्रेज यही तो चाहते थे कि आपस में फूट डालो और राज करो नौजवानों सावधान -सावधान।
॥ जय हिन्द जय भारत ॥

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016
अभिमान भी एक दूषित अवगुण है |
(दीदी माँ ऋतम्भरा जी)
पूज्या दीदी माँ के अमृत बचनों के कुछ अंस सुने जो यहाँ लिख रहा हूँ ।
एक बार की बात है गाँव के कुँए में एक बिल्ली मर गयी थी, सारे गाँव वाले पंडित के पास गए कि महाराज कुँए का पानी अपवित्र हो गया है बड़ी ही बदबू आ रही है क्या करें ।
पंडित जी ने कहा चंदा इकट्ठा करो और भागवत कथा कराओ,और गंगाजल एवं गुलावजल कुँए में डालो तव जल पवित्र व पीने लायक हो जायेगा । तुरंत सभी गाँव के गणमान्य लोग इस काम में लग गए और बहुत ही अच्छे ढंग से पंडित जी के अनुसार सब कुछ किया,पर कुंए से बदबू आना बंद नहीं हुआ तो सब गुस्से में पंडित जी को कहने लगे,गुरु जी कितना खर्च करवा दिया पर जल में बदबू आना बंद नही हो रहा है।
पंडित जी ने कहा अरे भाईयों मरी हुई बिल्ली को तो निकाल देते,कहने लगे नही महाराज यह तो नहीं किया,बस ऐसे ही हमारे अंदर का अभिमान है जब तक बाहर नहीं निकाला कितनी भी शुद्धि करें वैसा ही रहेगा ।
। । हरी ॐ । ।

शनिवार, 16 जनवरी 2016
विद्या अथवा ज्ञान (गुरु वाणी)
विद्या ऐसी चीज है ज्यों-ज्यों खर्चे,त्यों-त्यों बढ़े।
और बिन खर्चे घटे जाय।।
विद्या या ज्ञान एक ऐसी चीज है,जिसको जितना ज्यादा खर्च करेंगें उतनी ही ज्यादा बढ़ती जायगी,जिसके पास जितना ज्ञान है अगर उसे बितरित न किया जाय तो वह सिकुड़ कर कम होता जाएगा,अतः ज्ञान को बांटें और अपना ज्ञान कोष बढ़ाएं। । । हरि ॐ जय गुरुदेव । ।

गुरुवार, 7 जनवरी 2016
चुनाव करना ।। हरी ॐ।।
किसी चीज को चुनना वास्तव में एक सरल काम नहीं है,आम तौर पर अगर कोई आप से कहता है कि आप के सामने ढेर सारी चीजो में से कोई एक चीज को चुनना है, तो सीधी सी बात है जो आपकी पसंद की होगी वही आपके पास होगी लेकिन,अब उस वस्तु से होने वाले लाभ या हानि के हकदार तो बस आप ही हैं।
श्री नारायण हरी ने महाभारत के धर्मयुद्ध में दुर्योधन से कहा था कि हे सुयोधन कृपया आप स्वयं ही चयन करें कि मैं या मेरी सेना में से आपको क्या चाहिए,एक चीज का चयन करना होगा, तो दुर्योधन ने सोचा कि अकेले श्री विष्णु का मैँ क्या करूँगा और तुरंत कहा कि आप मुझे अपनी सेना दीजिये।

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