शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

अभिमान भी एक दूषित अवगुण है |

(दीदी माँ ऋतम्भरा जी)

पूज्या दीदी माँ के अमृत बचनों के कुछ अंस सुने जो यहाँ लिख रहा हूँ ।
एक बार की बात है गाँव के कुँए  में एक बिल्ली  मर गयी थी, सारे गाँव वाले पंडित  के पास गए कि महाराज  कुँए  का पानी अपवित्र हो गया है बड़ी ही बदबू आ रही है क्या करें ।
पंडित जी ने कहा चंदा इकट्ठा करो और भागवत  कथा कराओ,और गंगाजल एवं  गुलावजल कुँए में डालो तव जल पवित्र व पीने  लायक हो जायेगा । तुरंत सभी गाँव के गणमान्य लोग इस काम में लग गए और बहुत ही अच्छे  ढंग से पंडित जी के अनुसार सब कुछ किया,पर कुंए से बदबू आना बंद नहीं हुआ तो सब गुस्से में पंडित जी को कहने लगे,गुरु जी कितना खर्च करवा दिया पर जल में बदबू आना बंद नही हो रहा है।
पंडित जी ने कहा अरे भाईयों मरी हुई बिल्ली को तो निकाल  देते,कहने लगे नही महाराज यह तो नहीं किया,बस ऐसे ही हमारे अंदर का अभिमान है जब तक बाहर नहीं निकाला कितनी भी शुद्धि करें वैसा ही रहेगा । 


। । हरी ॐ । ।  


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