Bhagavad Gita is the life management book and self motivational book. many peoples change there life by reading this book, this is not a religious book anybody, any religion can read for better future. many peoples got success his business from this energetic book, I'm writing a shloka a day so if anybody don't have enough time to read so you can read a shloka a day, Thanks.
BHAGAVAD GITA IN HINDI
बुधवार, 30 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
अत्र श्रुराः महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं -महारथी युयुधान,विराट तथा द्रुपद।
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मंगलवार, 29 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक ३
पश्यैतां पाण्डुपुत्रानामाचार्य महतीं चमूम।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।३।।
पश्य :-देखिए;एताम :-इस;पाण्डु पुत्राणाम :-पाण्डु के पुत्रों की;आचार्य ;-हे आचार्य;महतीम:-विशाल;चमूम:-सेना को;व्यूढां:-व्यवस्थित;द्रुपदपुत्रेण :-द्रुपद के पुत्र द्वारा;तव :-तुम्हारे; शिष्येण:-शिष्य द्वारा;धीमता :-अत्यंत बुद्धिमान।
हे आचार्य !पाण्डुपुत्रों की विशाल सेना को देखें,जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपद के पुत्र ने इतने कौशल से व्यवस्थित किया है।
अर्थात:-परम राजनीतिज्ञ दुर्योधन सेनापति द्रोणाचार्य के दोषों को इंगित करना चाहता था। राजा द्रुपद व् द्रोणाचार्य जी का आपस में पुराना राजनितिक झगड़ा था इसलिए द्रुपद ने एक महान यज्ञ संपन्न किया जिससे उन्हें एक पुत्र प्राप्त होने का वरदान मिला,जो द्रोणाचार्य का वध कर सके। द्रोणाचार्य इस बात को भलीभांति जानते थे किन्तु जब द्रुपद का पुत्र धृष्टधुम्न युद्ध शिक्षा के लिए उनको सौंपा गया तो द्रोणाचार्य जी को उसे अपने सारे सैनिक रहस्य प्रदान करने में कोई झिझक नहीं हुई।
इस प्रकार से युद्धभूमि में वह पांडवों के साथ था और द्रोणाचार्य से जो कला सीखी थी उसी के आधार पर उसने व्यूह रचना की,दुर्योधन ने इस कमजोरी की ओर द्रोणाचार्य जी को इंगित किया कि कहीं वह अपने प्रिय शिष्य पांडवो के प्रति उदारता न दिखाएँ। विशेष रूप से अर्जुन उनका अत्यंत प्रिय एवं तेजस्वी शिष्य था। दुर्योधन कहना चाहता था कि इससे उनकी हार हो सकती है।
क्रमशः !!!!!!!
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सोमवार, 28 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
अध्याय १ श्लोक २
सञ्जय उवाच
दृष्टा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमबृवीत ।।२।।
सञ्जयः उवाच:-संजय ने कहा;दृष्टा :-देखकर;तु :-लेकिन;पाण्डवानीकं:-पांडवों की सेना;व्यूढं:-व्यूहरचना;दुर्योधनः :-राजा दुर्योधन ने;तदा:-उस समय;आचार्यम:-शिक्षक,गुरु के;उपसङ्गम्य:-पास जाकर;राजा:-राजा; वचनम:-शब्द;अब्रवीत:-कहा
संजय ने कहा -हे राजन !पाण्डुपुत्रों द्वारा सेना की व्यूहरचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे।
अर्थात :-दुर्योधन पांडवों की व्यूहरचना देखकर घबरा गया और वह तुरंत अपने गुरु के पास गया,दुर्योधन एक अच्छा राजनीतिज्ञ बन सकता था पर कूटनीतवश ही पांडवो से समझौता नहीं कर सकता था।
क्रमशः!!!!!!!!!!
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रविवार, 27 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
भगवद गीता
अध्याय एक
कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।१।।धृतरास्ट्र उवाच -राजा धृतरास्ट्र ने कहा,धर्मक्षत्रे -धर्मभूमि में,कुरुक्षत्रे -कुरुक्षेत्र में ,समवेता -एकत्र ,युयुत्सवः-युद्ध करने की इच्छा से,मामकाः-मेरे पुत्रों,पाण्डवाः -पाण्डुपुत्रों ने,च -तथा,एव-निस्चय ही,किम-क्या,कुर्वत-किया, सञ्जय -हे संजय। धृतरास्ट्र ने कहा -हे संजय !धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ?अर्थात :-भगवदगीता एक बहुपठित आस्तिक विज्ञान है जो गीता महात्म्य में सार रूप में दिया हुआ है। इसमें यह उल्लेख है कि मनुष्य को चाहिए कि वह श्रीकृष्ण के भक्त की सहायता से संवीक्षाण करते हुए भगवदगीता का अध्ययन करे और स्वार्थप्रेरित व्याख्याओं के बिना उसे समझने का प्रयास करे। अर्जुन ने जिस प्रकार से साक्षात भगवान् कृष्ण से गीता सुनी और उसका उपदेश ग्रहण किया,इस प्रकार की सपष्ट अनुभूति का उदाहरण भगवद्गीता में ही है। यदि उसी गुरु परम्परा से निजी स्वार्थ से प्रेरित हुए बिना,किसी को भगवद्गीता समझने का सौभाग्य प्राप्त हो। इस प्रकार से धृतरास्ट्र अत्यंत संदिग्ध था कि मेरे पुत्र युद्ध में विजयी होंगे या नहीं इसी लिए संजय से पूछ रहे है। (अगला श्लोक अगली पोस्ट में धन्यवाद )
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रविवार, 8 नवंबर 2020
Guru kirpa
ॐ नमः नारायण
भगवान आप सभी का भला करे
ॐ नमः पार्वती पतिए हर हर महादेव
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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020
सुंदरता का अर्थ
प्रीति जिंटा जी को ४५वें साल के जन्मदिन पर बहुत-बहुत बधाई,आप जितनी सुंदर हैं उतना ही सुन्दर आपका दिल भी है,मित्रों प्रीति जी ने ऋषिकेश में अनाथआश्रम से ३४ लड़कियों को गोद लिया है ,उनका पूरा खर्चा प्रीति जी ही चलाती हैं साथ ही इनकी महानता है की इन्होने ६०० करोड़ की संपत्ति पर भी लालच नहीं किया जो इनके धर्मपिता इन्हे खुशी से देना चाहते थे ,प्रणाम है देवी जी,धन्य हैं आप भगवान आप को लम्बी उम्र प्रदान करें और आप अपने परिवार के साथ सदा खुश रहें ।
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मंगलवार, 31 दिसंबर 2019
कौन हो तुम
कौन हो तुम
कौन हो तुम,हर समय साथ रहते हो पर साया भी नहीं हो तुम।
सपनों में,खाने में,सोने में हर पल साथ हो तुम,ये कैसी याद हो तुम।।
दुःख-दर्द व ख़ुशी के वक्त भी पास हो,पर देख नहीं पाते हैं हम।
रोशनी में उजाला हो,अंधेरों में चिराग हो,पूनम का चाँद हो तुम।।
संगीत में शहनाई हो,ताल में मृदंग हो,चन्दन सी शीतल हो तुम।
सावन की बौछार हो,सर्द शीत लहर हो,बसंत में माघ हो तुम ।।
फूलों की खुशबू हो बागों की हरियाली हो,फलों की डाली हो।
कल की आस थी आज की प्यास है,भविष्य की तलाश हो तुम ।।
मुस्कराते रहना यूँ ही,इस जीवन यात्रा में किसी का तो चिराग हो तुम ।
रागों में रागिनी हो ,जीवन का अनुराग हो पर न जाने कौन हो तुम।।
(फोटो गूगल से साभार )
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