Bhagavad Gita is the life management book and self motivational book. many peoples change there life by reading this book, this is not a religious book anybody, any religion can read for better future. many peoples got success his business from this energetic book, I'm writing a shloka a day so if anybody don't have enough time to read so you can read a shloka a day, Thanks.
BHAGAVAD GITA IN HINDI
सोमवार, 28 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
दृष्टा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
संजय ने कहा -हे राजन !पाण्डुपुत्रों द्वारा सेना की व्यूहरचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे।
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रविवार, 27 दिसंबर 2020
BHAGVAD GITA
भगवद गीता
अध्याय एक
कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।१।।धृतरास्ट्र उवाच -राजा धृतरास्ट्र ने कहा,धर्मक्षत्रे -धर्मभूमि में,कुरुक्षत्रे -कुरुक्षेत्र में ,समवेता -एकत्र ,युयुत्सवः-युद्ध करने की इच्छा से,मामकाः-मेरे पुत्रों,पाण्डवाः -पाण्डुपुत्रों ने,च -तथा,एव-निस्चय ही,किम-क्या,कुर्वत-किया, सञ्जय -हे संजय। धृतरास्ट्र ने कहा -हे संजय !धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ?अर्थात :-भगवदगीता एक बहुपठित आस्तिक विज्ञान है जो गीता महात्म्य में सार रूप में दिया हुआ है। इसमें यह उल्लेख है कि मनुष्य को चाहिए कि वह श्रीकृष्ण के भक्त की सहायता से संवीक्षाण करते हुए भगवदगीता का अध्ययन करे और स्वार्थप्रेरित व्याख्याओं के बिना उसे समझने का प्रयास करे। अर्जुन ने जिस प्रकार से साक्षात भगवान् कृष्ण से गीता सुनी और उसका उपदेश ग्रहण किया,इस प्रकार की सपष्ट अनुभूति का उदाहरण भगवद्गीता में ही है। यदि उसी गुरु परम्परा से निजी स्वार्थ से प्रेरित हुए बिना,किसी को भगवद्गीता समझने का सौभाग्य प्राप्त हो। इस प्रकार से धृतरास्ट्र अत्यंत संदिग्ध था कि मेरे पुत्र युद्ध में विजयी होंगे या नहीं इसी लिए संजय से पूछ रहे है। (अगला श्लोक अगली पोस्ट में धन्यवाद )
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रविवार, 8 नवंबर 2020
Guru kirpa
ॐ नमः नारायण
भगवान आप सभी का भला करे
ॐ नमः पार्वती पतिए हर हर महादेव
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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020
सुंदरता का अर्थ
प्रीति जिंटा जी को ४५वें साल के जन्मदिन पर बहुत-बहुत बधाई,आप जितनी सुंदर हैं उतना ही सुन्दर आपका दिल भी है,मित्रों प्रीति जी ने ऋषिकेश में अनाथआश्रम से ३४ लड़कियों को गोद लिया है ,उनका पूरा खर्चा प्रीति जी ही चलाती हैं साथ ही इनकी महानता है की इन्होने ६०० करोड़ की संपत्ति पर भी लालच नहीं किया जो इनके धर्मपिता इन्हे खुशी से देना चाहते थे ,प्रणाम है देवी जी,धन्य हैं आप भगवान आप को लम्बी उम्र प्रदान करें और आप अपने परिवार के साथ सदा खुश रहें ।
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मंगलवार, 31 दिसंबर 2019
कौन हो तुम
कौन हो तुम
कौन हो तुम,हर समय साथ रहते हो पर साया भी नहीं हो तुम।
सपनों में,खाने में,सोने में हर पल साथ हो तुम,ये कैसी याद हो तुम।।
दुःख-दर्द व ख़ुशी के वक्त भी पास हो,पर देख नहीं पाते हैं हम।
रोशनी में उजाला हो,अंधेरों में चिराग हो,पूनम का चाँद हो तुम।।
संगीत में शहनाई हो,ताल में मृदंग हो,चन्दन सी शीतल हो तुम।
सावन की बौछार हो,सर्द शीत लहर हो,बसंत में माघ हो तुम ।।
फूलों की खुशबू हो बागों की हरियाली हो,फलों की डाली हो।
कल की आस थी आज की प्यास है,भविष्य की तलाश हो तुम ।।
मुस्कराते रहना यूँ ही,इस जीवन यात्रा में किसी का तो चिराग हो तुम ।
रागों में रागिनी हो ,जीवन का अनुराग हो पर न जाने कौन हो तुम।।
(फोटो गूगल से साभार )
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गुरुवार, 26 दिसंबर 2019
सेवा भाव
सेवा भाव
ॐ नमः नारायण ,प्यारे मित्रो बड़ी ही ख़ुशी की अनुभूति हुई जब मैंने उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के जामणीखाल में एक स्वयं सेवी संस्था ,जीवन एक कथा का नाम सुना जिसमे कुछ असहाय लोगो की सहायता की जा रही है ,बड़ा ही सराहनीय कार्य है ,जीवनकथा के संस्थापक श्री राकेश पंवार जी तथा समस्त टीम के कार्यकर्ताओं को बधाई एवं सुभकामनाए। समस्त देवभूमि एवं माँ भारती के सपूतों से करबद्ध निवेदन है कि कृपया इस पुण्य कार्य में जरूर अपना अंशदान करें जिससे अपनी देवभूमि में कोई व्यक्ति भी असहाय महसूश न करे,बेरोजगारी और कुछ अन्य कारणों से यहाँ की जनता अधिकतर पलायन कर चुकी है ,पर इन महानुभाओं ने कई वीडियो दिखाए जिससे हृदय बिदीर्ण होता है ।इसमें एक वीडियो हमारे गांव बुड़कोट का भी है,कहते हैं जिसका कोई नहीं होता उसके लिए भगवान स्वयं अवतार लेते है,ऐसे ही श्री राकेश पंवार जी को हमारी देवभूमि का अवतार माना जयेगा क्यों कि किसी ने भी उन बच्चों,बुजुर्गों,महिलाओं एवं दिव्यांगों के बारे में नहीं सोचा,पंवार जी एवं जीवनकथा की टीम को कोटि-कोटि नमन साधुवाद एवं धन्यवाद।
ॐ नमः नारायण ,प्यारे मित्रो बड़ी ही ख़ुशी की अनुभूति हुई जब मैंने उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के जामणीखाल में एक स्वयं सेवी संस्था ,जीवन एक कथा का नाम सुना जिसमे कुछ असहाय लोगो की सहायता की जा रही है ,बड़ा ही सराहनीय कार्य है ,जीवनकथा के संस्थापक श्री राकेश पंवार जी तथा समस्त टीम के कार्यकर्ताओं को बधाई एवं सुभकामनाए। समस्त देवभूमि एवं माँ भारती के सपूतों से करबद्ध निवेदन है कि कृपया इस पुण्य कार्य में जरूर अपना अंशदान करें जिससे अपनी देवभूमि में कोई व्यक्ति भी असहाय महसूश न करे,बेरोजगारी और कुछ अन्य कारणों से यहाँ की जनता अधिकतर पलायन कर चुकी है ,पर इन महानुभाओं ने कई वीडियो दिखाए जिससे हृदय बिदीर्ण होता है ।इसमें एक वीडियो हमारे गांव बुड़कोट का भी है,कहते हैं जिसका कोई नहीं होता उसके लिए भगवान स्वयं अवतार लेते है,ऐसे ही श्री राकेश पंवार जी को हमारी देवभूमि का अवतार माना जयेगा क्यों कि किसी ने भी उन बच्चों,बुजुर्गों,महिलाओं एवं दिव्यांगों के बारे में नहीं सोचा,पंवार जी एवं जीवनकथा की टीम को कोटि-कोटि नमन साधुवाद एवं धन्यवाद।
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शुक्रवार, 26 जुलाई 2019
माया मोह
माया मोह
राजकुमार सिद्दार्थ गौतम (महात्मा गौतम बुद्ध )का नाम तो आपने सुना ही होगा,राजकुमार की शादी हुई और उनका एक पुत्र भी हुआ।
राजकुमार एक दिन अपने राज्य में घूमने गए तो उन्होंने एक बृद्ध व्यक्ति को तथा एक बीमार व्यक्ति एवं एक मृत लाश को भी देखा। इस दृश्य से राजकुमार के दिल में बहुत ही बुरा असर पड़ा सोचा कि जिस शरीर की इतनी देखभाल की जाती है वह तो नश्वर है।
राजकुमार को रात को नींद नहीं आयी और अपना छै साल का प्रिय पुत्र और जवान पत्नी को छोड़कर आधी रात को घर से निकल गए।
राजशी वैभव को छोड़कर दर-दर भिक्षा मांगकर गुरु की शरण में जाकर ज्ञान प्राप्त किया और दुनिया में अपने असंख्य शिष्यों के साथ बौद्ध धर्म का प्रचार किया और महात्मा गौतम बुद्ध के नाम से प्रशिद्ध हुए।
वे चाहते तो दुनिया की कोई भी चीज बिना प्रयाश के घर पर ही प्राप्त कर सकते थे,परन्तु राजकुमार को ज्ञान प्राप्त हो गया और माया मोह से दूर निज स्वरुप को पहचान कर दुनिया में प्रशिद्ध हुए।
(फोटो साभार गूगल )
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