Bhagavad Gita is the life management book and self motivational book. many peoples change there life by reading this book, this is not a religious book anybody, any religion can read for better future. many peoples got success his business from this energetic book, I'm writing a shloka a day so if anybody don't have enough time to read so you can read a shloka a day, Thanks.
BHAGAVAD GITA IN HINDI
शनिवार, 8 अप्रैल 2017
( Nepliyo ka pind ) कलजुगी नारद किशना बगोट का हास्य ब्यंग
I'm a husband, fathers of two kids, would like to help people anywhere and believe to spiritualty.
Entertainment
गढ़वाली भाषा की पहचान
कलयुगी नारद जी
I'm a husband, fathers of two kids, would like to help people anywhere and believe to spiritualty.
शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017
Uttrakhand news
Devbhoomi news
I'm a husband, fathers of two kids, would like to help people anywhere and believe to spiritualty.
मंगलवार, 4 अप्रैल 2017
Bhagwat Geeta (Khuda ka Bayan) Launching program
I'm a husband, fathers of two kids, would like to help people anywhere and believe to spiritualty.
बुधवार, 29 मार्च 2017
culture and music
पहाड़ी नृत्य की एक झलक है जो लगभग सारे गढ़वाल,कुमांऊ,जोनसार ,हिमांचल में एक जैसा ही है। पर है अति मनभावन जरूर आनंद उठाएं।
साभार यूट्यूब
I'm a husband, fathers of two kids, would like to help people anywhere and believe to spiritualty.
मंगलवार, 27 दिसंबर 2016
winters-chillstep II dubstep
I'm a husband, fathers of two kids, would like to help people anywhere and believe to spiritualty.
रविवार, 25 दिसंबर 2016
अन्धविश्वास
एक गांव में दुखी राम रहता था,सब लोग कहते थे कि जिस दिन सुबह-सुबह दुखी राम का मुँह देख लिया तो उस आदमी को दिन भर खाना नसीब नहीं होता है ,बड़ा ही मनहूस आदमी है ।
अब यह बात राजा के कानो तक भी पहुँच गयी राजा ने सन्देश दिया कि दुखीराम को तुरंत यहाँ बुलाया जाय !
राजा के सिपाही तुरंत दुखीराम को पकड़ कर ले आये,राजा ने कहा इसको रात्रि में मेरे साथ ही खाना होगा और मेरी बगल में ही इसका बिस्तर लगा दिया जाय,रात बीत गयी राजा जी ने हाथ मुँह धोकर सीधा दुखीराम के दर्शन किये और दिन की सुरुआत दिनचर्या के अनुसार करने लगे,अब राजा जी किसी काम में इतने उलझ गए कि नास्ता तो रहा दूर भोजन भी नहीं हो पाया और शाम का भोजन भी किसी तरह से रात्रि में ही हो पाया और अंत में राजा ने गुस्से में आकर दुखी राम को फांशी की सजा सुना दी ।
उस गाँव में एक भले आदमी रहते थे,उन्होंने कहा दुखी राम जैसे मैंने तुम्हे समझाया है वेसे ही कह देना डरना मत ।
(गूगल से साभार)
सुबह होते ही जल्लाद दुखीराम को फांशी की सजा का सामान ले कर आ गया और पूछा अपनी अंतिम इच्छा बताओ ।
दुखी राम बोला राजा जी को बोलना कि मुझसे ज्यादा मनहूस तो तुम हो तुम्हारा मुँह देखकर मुझे फांशी की सजा मिली,मेरा मुह देखकर तो सिर्फ खाना ही तो नही मिला । राजा ने सोचा बात तो सही है सिर्फ अन्धविश्वास ही तो है किसी का मुह देखकर काम बिगड़ता नहीं है ।
I'm a husband, fathers of two kids, would like to help people anywhere and believe to spiritualty.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)