शनिवार, 31 अक्टूबर 2015

स्वयं को जाने ॥ हरी ॐ ॥

जिसको अपनी बुद्धि नहीं,तो गुरु ज्ञान क्या करे ।
निज रूप को जाना नहीं, तो पुराण क्या करे ॥   

(फोटो ट्वीटर से साभार )

जब तक अपनी ही बुद्धि काम नहीं करती तो गुरु जी का ज्ञान भी क्या करेगा । एक बार की बात है किसी गुरु जी ने अपने दो शिष्यों को ज्ञान दिया कि किसी पराई औरत को छूना  पाप है,एक दिन वे दोनों नदी में स्नान हेतु जा रहे थे,तो अचानक एक औरत की आवाज सुनाई दी,बचाओ -बचाओ!!!!!!महिला डूबने ही वाली थी एक गुरुभाई ने कहा की ख़बरदार औरत को हाथ मत लगाना पाप हो जाएगा,परन्तु दूसरे ने एक नहीं सुनी और उस औरत को डूबने से बचाता हुआ गोद में उठाकर किनारे ले आया।
गुरुभाई ने कहा की अब तो गुरु जी से तेरी शिकायत करूँगा याद है गुरु जी ने क्या कहा था किसी भी औरत को छूना भी पाप है और तू तो उसे गोद में उठाकर लाया है,जब दोनों गुरु जी के पास गए,गुरु जी ने कहा बेटा किसी पराई स्त्री को बुरी नजर से भी देखना पाप है मगर उसने तो डूबने से मरती हुई स्त्री के प्राण बचाए हैं, अतः वह तो पुण्य का भागी है,तुमने मेरी दी हुई शिक्षा पर ठीक से ध्यान नहीं दिया।  ॥ हरी ॐ ॥ 

॥ जय गुरु देव ॥ 

  

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