गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

नव दुर्गा पूजा

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                                                   (चित्र गूगल से प्राप्त साभार )

                                 माँ कात्यायनी  

प्रथमे शैलपुत्री द्वितीया ब्रह्मचारिणी त्रितीय चन्द्रघण्टेति कुष्मांडका चतुर्थकम। 

पंचमे स्कंदमाता षस्टमे कात्यायिनी देवी सप्तमे कालरात्री अस्टमे महागौरी नवमे सिद्धिदात्री च नव दुर्गे नारायणी नमोःस्तुते।।

छटे नवरात्र में माँ  परा अम्बा  की स्तुति  देवी कात्यायिनी  के रूप में की जाती है ,

रुकमणी जी ने भी  भगवान  श्री कृष्ण  को वर रूप में प्राप्त करने हेतु  देवी कात्यायिनी  की पूजा की थी ,माता सीता जी ने भी श्री राम जी को वर पाने हेतु माता के इस रूप की पूजा की थी। 

श्री यमुना जी के किनारे गोपियों ने भी बृज  की  अधिष्ठात्री  देवी  कत्यायिनी  जी की पूजा की जिससे उन्हें  भगवान  के संग रास  रचाने  की कृपा प्राप्त हुई ।

शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

Latest Himachali Nati 2017 | Maharaz | Inder Jeet | Official Video | S.D...

गढ़वाली हिमाँचली संगीत  बहुत  ही रोचक और मंत्रमुग्ध करने वाला है
एक बार जरूर सुने,वाह क्या बात है,धन्यवाद।








रविवार, 29 अप्रैल 2018

अद्यात्मिकता

अद्यात्मिकता 

गुरुवाणी 

मूकं करोति वाचालं,पंगु लंघयते गिरीम।।
यत्कृपा तमहं बन्दे,परमानन्द माधवम।।
 

चुप रहने वाले भी बढ़िया भाषण करने लगते है और बिना पैरों वाले भी पर्वत को पार कर देते हैं जिस पर उस परमानन्द स्वरूप परमपिता परमात्मा की कृपा हो जाती है।

                                          | | जय गुरु देव | |   

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बुधवार, 4 अप्रैल 2018

यकीन

 भगवान आएंगे दोस्तों,अपनी प्रार्थना पर यकीन कर डटकर इन्तजार करो।

कौन  कहता है छलनी  में पानी नहीं आता,बर्फ बनने तक इंतजार करो।। 


रविवार, 14 जनवरी 2018

शांति

एक बार की बात है कबीर दास जी एक नई जगह पहुँच गए ,रहने का साधन था नहीं तो एक झोंपड़ी बनाई और उसमे रहने लगे।
उनकी झोंपड़ी के पास में एक कसाई की दुकान थी तो जब कबीर दास जी प्रातः चार बजे उठकर स्नान कर पूजापाठ करना शुरु करते तो कसाई की दुकान से जानवरो के काटने की चीख पुकार सुनाई देती अब लगभग ये रोज का काम हो गया तो उनको बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था,तो एक सज्जन ने उनको सलाह दी कि झोंपड़ी बदल दो तो कबीर दास जी ने उस पर भी एक श्लोक बना दिया और शांत चित होकर रहने लगे।

कबीरा तेरी झोंपड़ी गलकट्टो के पास।
जो करेगा सो भरेगा तुम क्यूँ भए उदास।।