बुधवार, 26 अक्टूबर 2016

मानसिकता

कुछ भी कहो लेकिन लोगों की मानसिकता आज भी यही है की लड़का तो होना ही चाहिए।
 पर जो भी हो हर किसी का एक  प्रारब्ध होता है उसमे लड़की हो चाहे लड़का हर कोई दुनिया में अपने ही काम के लिए निर्धारित हो कर आया है,उस काम को सिर्फ और सिर्फ वही करेगा लड़की हो या लड़का, दंगल फिल्म के लिए आमिर खान जी को बधाई हो कृपया जरूर देखें। 

(साभार यूट्यूब)

रविवार, 23 अक्टूबर 2016

गढ़वाली जौनसारी संगीत

उत्तराखंड में गढ़वाली,कुमावनी,जौनसारी अदि भाषाएँ बोली जाती है, जिसमे जौनसारी भाषा का संगीत अलग ही तरह का सुरीला तथा मनभावन संगीत है जिसकी एक झलक इस गीत के माध्यम से सुनने को मिलती है आप भी आनंद उठाएं। 

                             

(साभार स्वागत फिल्म्स &यू ट्यूब्स)

बुधवार, 28 सितंबर 2016

भोले नाथ का नया घर

भोलेनाथ बड़े ही दयालू देवता है बड़े औघड़ दानी है। 
माता पार्वती  जी ने भोलेनाथ जी से कहा कि हे महादेव मैं  आप से कुछ विनती करना चाहती हूं क्या आप मानेंगे तो महादेव जी ने बड़े ही भाव से कहा देवी आप कहिए तो सही मैं आप की बात टाल नहीं सकता। 
तो माँ पार्वती तुरंत बोली हे भोलेनाथ कब तक हम कैलाश पर्वत पर ऐसे ही बिना घर के रहेंगे,अब मै चाहती हूँ कि हमारा भी अपना घर होना चाहिए। 
अब भोलेनाथ जी ने तुरंत अदभुत द्वीप ढूंडा और विष्वकर्मा  जी को आदेश दिया कि हमारे लिए और हमारे परिवार के लिए सोने की नगरी का निर्माण किया जाय। 
तो विश्वकर्मा जी ने तुरन्त ही सोने की नगरी का निर्माण कर दिया और भगवान भोलेनाथ को बोले कि आप किसी ज्ञानी पंडित को बुलाएँ और गृह प्रवेश करवाए। 
महादेव जी ने सोचा कि रावण के बराबर जानकार तो कोई भी पंडित नहीं है और शीघ्र ही रावण को आमन्त्रित किया गया। 

Risultati immagini per ravan ki sone ki lanka photo
फोटो गूगल से साभार

अब रावण जी महाराज विधिवत पूजा संपादन में जुट गए।
पूजा -पाठ समाप्त होने पर महादेव बोले कहो पंडित कुछ दक्षिना माँगो आज हम बहुत खुश हैं जो मांगोगे दे देंगे।
रावण ने कहा हे महादेव अगर आप सचमुच मुझे कुछ देना चाहते हैं तो मुझे अपना नया सोने का नगर दान में दे दो आप तो महादानी हो।
भोलेनाथ ने तुरंत खुश हो कर कहा तथास्तु और माता पार्वती से बोले चलो देवी हमारे लिए कैलाश पर्वत ही अच्छा है 

मंगलवार, 16 अगस्त 2016

प्रशंसा और आलोचना


प्रशंसा पुण्य शिथिल करती है, आलोचना विकास के द्वार खोलती है.अपनी प्रशंसा सुनने पर कोई भी खुश हो जाता है,और सोचता है की मैं उत्तम मनुष्य हूं तो समझो आपके पुण्य खत्म हो रहे है इसके विपरीत अगर कोई आपकी आलोचना करता है तो समझो आपके विकास की संभावनाएं बढ़ रही है,आप स्वयं को बढ़िया बनाने की कोशिश में लग जाते हो ।

 जय गुरुदेव

शनिवार, 21 मई 2016

बुद्धि एवम विवेक

पांडवो के वनवास के समय की बात है,दूर जंगल में चलते-चलते  जब पांचो भाई थक गए तो धर्मराज जी ने सहदेव को पानी के लिए एक कुंवे के पास भेजा पर वो वापस लौट के नहीं आया तो उन्होंने तुरंत नकुल को भेजा वो लौट के नहीं आया इस प्रकार से भीम,अर्जुन सभी गए और वापस नहीं आये तो बड़े भाई धर्मराज चिंतित हो कर खुद गए।
उन्होंने देखा कि उनके सभी भाई बेहोश है और रोते हुए वे पानी पीने को बढे ही थे कि यक्ष राज ने उनको रोक और बोले हे युधिष्ठिर पहले मेरे सवालो का जबाव दो फिर पानी पी सकते हो,तुम्हारे भाईयों ने मेरे प्रश्नों का जबाब नहीं दिया तो मैंने ही उनकी ये गति की है ।
धर्मराज जी ने एक-एक करके सभी प्रश्नों का जबाब दिया तो यक्ष राज ने खुश होकर कहा कहो धर्मराज मैं बहुत खुश हूँ चाहो तो मैं तुम्हारा एक भाई जीवित कर देता हूँ बताओ किसको जिन्दा चाहते हो,तो धर्मराज जी ने सोच कर कहा हे यक्ष राज आप नकुल को जिन्दा कर दें ।
इस बात पर यक्ष ने कहा आपने महाबली भीम और धर्नुधर अर्जुन को क्यों नहीं माँगा तो धर्मराज जी ने कहा नहीं महाराज मेरी दो माताएं हैं कुंती और माद्री, मैं कुंती का पुत्र जीवित हूँ और नकुल माता  माद्री का पुत्र है
इस विवेकपूर्ण जबाब को सुनकर यक्ष राज बहुत खुश हुए और उन्होंने उनके सभी भाईयों को जीवित कर दिया।